
भांवरकोल/गाज़ीपुर। पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बिरादरी के रहने वाले श्रीपुर गांव कि राजभर और दलित बस्ती, आज भी विकास की रोशनी से कोसों दूर है। भले ही राजभर समुदाय का व्यक्ति प्रदेश में पंचायत व्यवस्था का मुखिया बना हो, लेकिन उनकी ही जाति के लोग कीचड़, गंदगी और टूटी उम्मीदों में जिंदगी गुज़ारने को मजबूर हैं।
भांवरकोल विकासखंड क्षेत्र के श्रीपुर गांव की दलित और राजभर बस्ती का हाल इतना बदतर है कि बरसात के दिनों में गलियां कीचड़ के समंदर में बदल जाती हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, महिलाएं घर से निकलने से कतराती हैं। नालियों का पानी गलियों में फैल जाता है और मच्छरों का आतंक चारों ओर छा जाता है।
स्थानीय रामनाथ राजभर, रणजीत राजभर, भीम राजभर लोगों का कहना है कि आजादी के सात दशक बाद भी इस बस्ती का मुख्य मार्ग और नालियां अब तक नहीं बनीं। सफाईकर्मी महीनों से नहीं आते, जिससे गांव में गंदगी और दुर्गंध का माहौल हमेशा बना रहता है। हर चुनाव में नेता आते हैं, हाथ जोड़ते हैं, वादा करते हैं कि सड़क बनवाएंगे… पर चुनाव खत्म होते ही सब गायब। अब तो हमें खुद पर तरस आता है कि क्या हम भी इसी देश के नागरिक हैं ?
“हमारे ही मंत्री, पर हमारी नहीं सुनता कोई” राजभर समाज के लोगों का दर्द साफ झलकता है। शेषनाथ राजभर राजभर ने कहा….
ओमप्रकाश राजभर जी पंचायती राज मंत्री हैं, लेकिन उनके ही बिरादरी के लोग दलदल में जी रहे हैं। क्या मंत्री जी को अपने बिरादरी के लोगों की हालत की खबर नहीं ? या फिर कुर्सी पर बैठने के बाद जनता की आवाज़ उन तक नहीं पहुँचती ?
लोगों का कहना है कि राजभर बिरादरी को राजनीति में पहचान दिलाने वाले नेता की नज़रों से श्रीपुर गांव पूरी तरह गायब है। यह वही समाज है जो दशकों से वंचित रहा, पर अब अपनी ही सरकार में भी उपेक्षा का शिकार है।
नंदलाल गुप्ता, जीतू राजभर, बेचू राजभर, प्रदीप राजभर, मुकेश राजभर, प्रदीप राजू राजभर, गुड़िया देवी, मंगरी देवी, इंदु देवी, वीरेंद्र यादव, मनोज राजभर, मनन राजभर, राधा पासवान ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कि है…..
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन, भांवरकोल ब्लॉक अधिकारियों और पंचायत विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। वे चाहते हैं कि श्रीपुर की राजभर और दलित बस्ती में नाली-सड़क निर्माण, जल निकासी, सफाई व्यवस्था और बिजली व्यवस्था को तुरंत दुरुस्त किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि अब समय आ गया है जब सरकार को भाषण नहीं, जमीन पर विकास की बुनियाद रखनी चाहिए। श्रीपुर जैसे गांवों की हालत देखकर साफ है कि विकास सिर्फ नारों में सीमित है, ज़मीनी सच्चाई बिल्कुल उलट।
रिपोर्ट – वसीम रजा













