आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या कोजाग्रत पूर्णिमा भी कहते हैं। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसी रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी इस दिन पृथ्वी पर आती हैं और जो भक्त जागरण करते हुए विधिवत पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
🕉️ शरद पूर्णिमा 2025 के प्रमुख मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:39 बजे से 05:28 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 10:41 बजे से 12:09 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 12:09 बजे से 01:37 बजे तक
चंद्रोदय का समय: शाम 05:27 बजे
🚿 स्नान, दान और पूजन का महत्व
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
यदि यह संभव न हो तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
सफेद वस्त्र, चावल, दूध, चीनी आदि का दान करें — इससे अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अवश्य दें और पूजा-पाठ में अधिक समय लगाएँ।
🌸 कोजागरी पूजा विधि
1. पूजा स्थल को शुद्ध करें और लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
2. मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएँ।
3. “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद” मंत्र का 108 बार जाप करें।
4. रात्रि में चंद्रोदय होने पर एक लोटे में दूध, जल, चावल और सफेद फूल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
5. खीर को रात भर खुले आसमान के नीचे रखें और अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
🍚 शरद पूर्णिमा पर खीर का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं।
जब खीर को पूरी रात चांदनी में रखा जाता है, तो उसमें ये अमृततुल्य तत्व समा जाते हैं।
ऐसी खीर का सेवन करने से रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति और सौभाग्य प्राप्त होता है।
कहा जाता है कि इस रात की चांदनी में मां लक्ष्मी की कृपा विशेष रूप से बरसती है।













