लगातार हुई भारी बारिश ने गाज़ीपुर में इतिहास से जुड़े एक प्राचीन मंदिर को धराशायी कर दिया। सदर कोतवाली क्षेत्र के रामघाट स्थित नरदेश्वर महादेव मंदिर चार और पांच अक्टूबर की रात हुई तेज बारिश के कारण अचानक ढह गया। गनीमत रही कि मंदिर में कोई मौजूद नहीं था, वरना बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।

स्थानीय लोगों के अनुसार, मंदिर समिति के सदस्य मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर बैठक कर कुछ ही घंटे पहले वहां से निकले थे। बैठक समाप्त होने के लगभग एक घंटे बाद मंदिर की दीवारें और गुंबद बारिश के दबाव में ढह गए। मंदिर का मलबा अब भी गंगा घाट पर बिखरा हुआ है।

घटना की जानकारी होने पर जिला प्रशासन ने एहतियातन गंगा घाट जाने वाले मार्ग को बैरिकेडिंग कर बंद कर दिया है ताकि किसी प्रकार की अनहोनी न हो।
भगवान राम से जुड़ा है यह पौराणिक स्थल

स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यह रामघाट और नरदेश्वर महादेव मंदिर भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण ने अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के साथ इसी घाट पर गंगा स्नान किया था और भगवान शंकर की पूजा की थी।
महर्षि विश्वामित्र के पिता राजा गांधी का किला इसी क्षेत्र में स्थित था, जिसके अवशेष आज भी दिखाई देते हैं। इसी कारण इस घाट को “रामघाट” और भगवान शंकर के मंदिर को “नरदेश्वर महादेव मंदिर” के नाम से जाना जाने लगा।

पुजारी के अनुसार, यह स्थान गाजीपुर के सामान्य तल से लगभग 35-40 फीट ऊँचाई पर स्थित है, जो महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली और राजा गांधी के किले से जुड़ा रहा है।
स्थानीय श्रद्धालुओं ने मंदिर के पास राम-जानकी मंदिर भी बनवाया है, जो आज भी सुरक्षित है।

मंदिर के अस्तित्व पर संकट, पुनर्निर्माण की मांग
मंदिर समिति और स्थानीय लोगों ने बताया कि वर्ष 1981 में तत्कालीन मंडलायुक्त द्वारा रामघाट के जीर्णोद्धार का कार्य तो कराया गया था, परंतु मंदिर की मरम्मत नहीं की गई।
अब मंदिर के पूरी तरह ढह जाने से इसके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है।

स्थानीय नागरिकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह भगवान राम के आगमन से जुड़े इस ऐतिहासिक स्थल और महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली को संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाएं ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सके।













