
गाजीपुर, जंगीपुर। साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में आयोजित “चेतना-प्रवाह” कार्यक्रम के अंतर्गत एक भावपूर्ण काव्य गोष्ठी का आयोजन रामरती मैरेज हॉल में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. हरिश्चंद्र सिंह कुशवाहा ने की जबकि संचालन सुपरिचित नवगीतकार डा. अक्षय पाण्डेय ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत डायलॉग, नई दिल्ली के संस्थापक विवेक सत्यमित्रम् एवं सुश्री पूजा प्रियवंदा रहे। विशिष्ट अतिथियों में पूर्व चेयरमैन लालजी गुप्ता, पूर्व ब्लॉक प्रमुख सुभाष चंद्र गुप्ता, उप चेयरमैन जिला सहकारी बैंक अच्छेलाल गुप्ता एवं भाजपा अ.मो. जिलाध्यक्ष शैलेश कुमार शामिल रहे।

शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। संयोजक विद्युत प्रकाश एवं राजेश वर्मा ने अतिथियों और कवियों का स्वागत किया।
गोष्ठी की शुरुआत कामेश्वर द्विवेदी की वाणी वंदना से हुई। तत्पश्चात, विवेक सत्यमित्रम् एवं पूजा प्रियवंदा ने गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल (8-9 नवम्बर) की जानकारी देते हुए अपनी समकालीन कविताएं भी प्रस्तुत कीं।
डा. अक्षय पाण्डेय ने अपना चर्चित नवगीत “एक पल तू, गीत जैसा मन बना ले…” सुनाकर खूब तालियां बटोरी।
कुमार नागेश की ग़ज़ल “ना मज़हब कोई, ना कोई कुनबा अपना…” और बादशाह राही की ग़ज़ल “वो लोग कर रहे हैं शऊर-ओ-अदब की बात…” को विशेष सराहना मिली।
कामेश्वर द्विवेदी की कविता “भेद मिटे मानव-मानव का…” ने गहरी छाप छोड़ी।
हरिशंकर पाण्डेय ने भोजपुरी गीत “रिश्तन में आगि लागल…” से भावनाओं को स्वर दिया।
वीर रस कवि दिनेशचंद्र शर्मा की कविता “शहीदों के चिराग़ को…” ने राष्ट्रभक्ति का संचार किया, तो हन्टर ग़ाज़ीपुरी की हास्य कविता “इस बुढ़ौती में मुहब्बत का मजा…” ने हंसी का समां बाँध दिया।
अमरनाथ तिवारी ‘अमर’, आशुतोष श्रीवास्तव, कन्हैया लाल ‘मुक्त विचारक’, और डॉ. शशांक शेखर पाण्डेय ने भी अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
श्रोताओं में प्रभाकर त्रिपाठी, गंगा विशुन यादव, अंकित गुप्ता, नीरज वर्मा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
अंत में संयोजक विद्युत प्रकाश द्वारा आभार ज्ञापन के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।













