“कमर तक पानी है, छतरी तो है ही… अब तो ‘बोतल’ भी जरूरी है साहब! विकास की गहराई मापनी हो तो घर से बाहर निकलिए।”
“कमर तक पानी, छतरी सिर पर,
पीने की बोतल जरूरी हर दर।
किसे कहें दोष, किसे कहें राज,
हाल बेहाल, ना कोई आवाज़!”








“कमर तक पानी है, छतरी तो है ही… अब तो ‘बोतल’ भी जरूरी है साहब! विकास की गहराई मापनी हो तो घर से बाहर निकलिए।”
“कमर तक पानी, छतरी सिर पर,
पीने की बोतल जरूरी हर दर।
किसे कहें दोष, किसे कहें राज,
हाल बेहाल, ना कोई आवाज़!”
